यह ‘‘लागत'' शब्द मैं सिर्फ आर्थिक निवेश के लिये उपयोग नहीं कर रहा हूँ बल्कि उन कीमती वर्षों के लिये और जी तोड़ मेहनत के लिये भी कर रहा हूँ जो हम किसी भी व्यवसाय के लिये करते है ।
आज छोटा सा व्यापार भी लाखों की लागत चाहता है, बाजार में साख चाहता है । व्यापार शुरू करने के लिये एक ऑफिस या गोडाऊन, अनेक किस्म के कानूनी रजिस्ट्रेशन, फोन, फैक्स, स्टाफ, बिजली, प्रचार-प्रसार जैसे न जाने कितने किस्म के खर्च लगते है । हर किसी के पास इतना व्यय करने की क्षमता नहीं होती,
सामान्य बिजनेस प्रणालियों में हम शायद ही कभी कोई ऐसा बिजनेस ढूँढ पायेगें जिसमें 10-15 हजार की लागत हो और असीमित लाभ हो, आय की कोई सीमा न हो । यह व्यापार नहीं, आर्थिक आजादी का माध्यम है । लेकिन ही, यह बिजनेस भले ही कम आर्थिक निवेश से शुरू होता हो लेकिन इसकी अन्य लागत बहुत है जैसे असीमित समर्पण, अनवरत प्रयास, पूर्ण निष्ठा, लगातार सीखना, डटे रहना... आदि-आदि । सार यह है कि प्रणाली आपसे आपके व्यक्तित्व की आंतरिक लागत मांगती है, आपके गुण मांगती है, वो सारे गुण चाहती है जो ईश्वर ने आपके अंदर कूट-कूटकर भरें है । यदि आप अपना जुनून देने को तैयार है तो फिर आर्थिक लागत के लिये निश्चिन्त हो जाइये । क्योंकि इससे कम लागत में आपके आसमानी सपनों को और कोई व्यापार पूरा नहीं कर सकता ।
No comments:
Post a Comment